आशुतोष गुप्ता
ग्रामीण क्षेत्रों छेरछेरा लोकपर्व की धूम दिखी यहां के गली मोहल्ले मे बच्चे घर-घर जाकर अन्न की मांग करते देखे गए।इस पर्व को लेकर बनियाडीह पंचायत मे खास उत्साह देखा गया।सरपंच महेंद्र कश्यप ने बच्चों को छेर छेरा दिया और कहा की ग्रामीण अंचलों में जहां बच्चों की टोलियां उत्साह के साथ छेरछेरा पर्व को मनाते है घर-घर पहुंचकर अन्न दान लेने पंहुचे। मान्यता है

कि इस पुस माह एवं त्योहार पर पर जो भी दान किया जाता है वह महादान होता है। इसका सुखद फल भी प्राप्त होता है। लोकपर्व छेरछेरा शुक्रवार को आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। फसल के खेतों से खलिहानों में आने की खुशी में लोक पर्व छेरछेरा मनाया जाने वाले इस पर्व मे बच्चों की टोली घर-घर जाकर अन्न मांगते है।धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन से ग्रामीण अंचलों में शुभ कार्यों की भी शुरुआत हो जाती है। छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरते हेरा. जैसे पारंपरिक बोल के साथ छेरछेरा के दिन बच्चों की टोली घर-घर जाकर अन्न मांगती हैं। किसान भी खुले हाथों से बच्चों को अन्न का दान करते हैं। इस दिन लोक गीतों की भी बहार रहती है।विदित हो कि इस दिन सभी घरों में नया चावल का चीला,चौसेला ,फरा ,दुधफरा, भजिया आदि छत्तीसगढ़ी अन्य व्यंजन बनाया जाता है। इसके अलावा छेर-छेरा के दिन कई लोग खीर और खिचड़ा का भंडारा रखते हैं, जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। इस दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी इस दिन बच्चों को अन्न का दान करते हैं, वह मृत्यु लोक के सारे बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इस दौरान मुर्रा, लाई और तिल के लड्डू आदि का वितरण भी किया जाता