आशुतोष गुप्ता
मल्हार – सरकार के तमाम प्रयास व कवायद के बावजूद भी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं सुधर नही पा रही है। सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना गर्भवती माताओ को करना पड़ रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रो के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी जननी सुरक्षा योजना का बेहतर क्रियान्वय करना स्वास्थ्य विभाग का दायित्व है। परन्तु मस्तूरी क्षेत्र के अधिकांश प्राथमिक व उपस्वास्थ्य केंद्रों में महिला चिकित्सक ही नही है जिससे गर्भवती महिलाओं का इलाज ठीक से नही हो पा रहा है।
जिसका दुखद पहलू यह है कि अब भी प्रसूताओं की मौत हो रही है, मिली जानकारी के अनुसार मल्हार के वार्ड 7 के किशोर भैना की पत्नी ऐश्वर्या भैना उम्र 22 वर्ष को गुरुवार 10 फरवरी को सुबह 11 बजे लेबर पेन होने पर घर वालो ने मल्हार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए जहां चिकित्सक स्टाफो ने महिला की स्थिति को देखते हुए डिलवरी कराने लेबर रूम ले गई काफी इंतजार के बाद शाम 4 बजे बताया गया कि ऐश्वर्या की पुत्री हुई है।

परिवार वालो ने बच्ची को देखा तो सब कुछ ठीक था इस बीच डिलवरी कराने वाली चिकित्सक स्टॉफ ने परिवार के लोगों को बताया कि बच्ची की धड़कन ठीक से नही चल रही है इसलिए सिम्स में भर्ती कराना पड़ेगा और महतारी एक्सप्रेस को बुलाकर तुरन्त सिम्स ले जाया गया परन्तु सिम्स में दोनों का परीक्षण करने के बाद बताया कि माँ व बच्ची की मृत्यु हो गई है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किन परिस्थितियो में दोनों की मृत्यु हुई।मातृत्व सुरक्षा के लिए तमाम योजनाए होने के बावजूद सुरक्षित प्रसव क्यो नही हो पा रहा है। इस पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मल्हार के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी मनोज कुमार साहू का कहना है कि प्रसव के बाद बच्ची का धड़कन ठीक से नही चल रही थी इसलिए बच्ची के साथ माँ को भी बिलासपुर रिफर किया गया और प्रसूति महिला ऐश्वर्या भी खुद चलकर महतारी एक्सप्रेस की गाड़ी में बैठी है। परन्तु बिलासपुर सिम्स पहुंचते तक क्या स्थिति बनी ये नही बता सकता।
गर्भवती महिलाओं के लिए क्या है मुख्य योजना….
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है जिसके लिए लाभार्थी महिलाओ को प्रत्येक माह की 9 तारीख को प्रसव पूर्व देखभाल, जांच व दवाई दी जानी है जिसके लिए सभी अस्पतालों में महिला विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति भी करनी है और इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही यही था कि प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या कम हो। परन्तु क्षेत्र के किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिला विशेषज्ञ चिकित्सक नही है सभी केंद्रों में महिला ग्रामीण चिकित्सा सहायक से ही काम चलाया जा रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश की सबसे बड़ी योजना की वास्तविक स्थिति क्या होगी।