आशुतोष गुप्ता
सीपत– स्थानीय शासकीय मदनलाल शुक्ल स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीपत जिला बिलासपुर में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी विभाग द्वारा “राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर हिन्दी के बढ़ते कदम और हिन्दी विषय में करियर व रोजगार की संभावनाएं” विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम आज दिनांक 13.09.2023 को आयोजित किया गया। इस गरिमामय समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार, सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं शिक्षाविद् डॉ. विनय कुमार पाठक उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार और समीक्षक तथा जलसंसाधन विभाग के सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री डॉ. अरुण कुमार यदु रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजीव शंकर खेर ने की। सम्मानीय अतिथि के रूप में उप प्राचार्या प्रो. नीना वखारिया एवं प्रो. आर. एन.पटेल उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ हेमन्त पाल घृतलहरे ने किया। कार्यक्रम का उदघाटन छत्तीसगढ़ के राजगीत से हुआ तत्पश्चात हेमलता पटेल, दिव्या यादव, मनीषा कोराम, वन्दना मानिकपुरी, दीक्षा सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया और मनीषा मेहता, किरण टंडन, संध्या सिदार, रजनीता, शारदा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण में डॉ हेमन्त पाल घृतलहरे ने महाविद्यालय तथा अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया, विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी, भाषा और साहित्य के साथ ही संस्कृति भी है। हिंदी की लड़ाई अंग्रेजी से नहीं है बल्कि अंग्रेजियत से है। उन्होंने बताया कि हिन्दी राजभाषा सप्ताह के अंतर्गत हिंदी विभाग द्वारा महाविद्यालय में निबंध, वाद विवाद, भाषण, पोस्टर, नारा लेखन, कविता पाठ एवं गायन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि हिन्दी आदमी को इंसान बनाती है। अपने वक्तव्य में डॉ. अरुण कुमार यदु ने कहा कि हिंदी के अपने ही देश में पिछड़े होने का कारण क्षेत्रवाद की राजनीति है। हिन्दी के कदम आज वैश्विक स्तर पर बढ़ गए हैं और विश्व की तीन प्रमुख भाषाओं में हिंदी शामिल हो गई है। आज भारत के बाहर एशिया,यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया,अफ्रीका एवं अरब देशों में सीखी, बोली, पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि हिंदी ने आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्दी मातृभाषा और राजभाषा तो है ही, बल्कि यह सम्पूर्ण राष्ट्र को जोड़ती है इसलिए लोकाश्रय के माध्यम से वह राष्ट्रभाषा है। भाषा विज्ञान के आधार पर पता चलता है कि अंग्रेजी ने भी हिंदी और संस्कृत के शब्दों को लेकर नए शब्द गढ़े हैं। हिन्दी में समन्वय की अदभुत क्षमता है। हिन्दी में करियर और रोजगार की संभावनाएं बहुत हैं। विद्यार्थी यदि हिंदी का गहराई से अध्ययन करें तो शिक्षक, प्रोफ़ेसर, प्रशासनिक अधिकारी, संपादक, अनुवादक, हिन्दी अधिकारी, यू ट्यूबर, ब्लॉगर, कंटेंट राइटर, पत्रकार, संवाददाता, अभिनेता, गायक, साहित्यकार आदि बनकर अच्छी धनराशि और नाम कमा सकते हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य महोदय ने हिंदी विषय में रचनात्मक कौशल बढ़ाने और उसके लिए कार्यशाला आयोजित करने की बात कही।धन्यवाद ज्ञापन वआभार प्रदर्शन प्रो. हेमपुष्पा नायक ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया।कार्यक्रम में समस्त अधिकारी कर्मचारीगण तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. शत्रुहन घृतलहरे, रितेश कुमार, कुशल प्रसाद, संतोष कुमार, बृहस्पति धीवर, शारदा श्रीवास, अर्चना उइके, प्रदीप कुमार, कमल किशोर, जागृति बंजारे, राघवेन्द्र कश्यप आदि का विशेष योगदान रहा।